नवाबों के शहर लखनऊ में पैदा हुए शेफ रणवीर बरार ने भारतीय खाने को दुनिया के सामने एक अलग अंदाज में पेश किया। रणवीर बरार आज आम घरों में भी जाना पहचाना नाम बन चुके हैं। टीवी शो ‘मास्टर शेफ’ में बतौर जज वह काफी लंबे समय से नजर आ रहे हैं। ‘मास्टरशेफ इंडिया’ के आठवें सीजन की शूटिंग के दौरान कुछ वक्त निकालकर उन्होंने ‘अमर उजाला’ से खास बातचीत की।
जब आप ने शेफ बनने का मन बनाया तो घर वालों की क्या प्रतिक्रिया थी?
हम लोग जिस पारिवारिक पृष्ठभूमि से आते हैं, वहां पर लोग डॉक्टर और इंजीनियर बनने के अलावा कुछ सोचते ही नहीं हैं। मैं 1993 की बात कर रहा हूं। उस समय लोगों को समझाना बहुत मुश्किल होता था कि इस प्रोफेशन में आना है। क्योंकि उस समय इस प्रोफेशन में आने के लिए लोग बहुत कम सोचते थे। घर वालों को जब इसके बारे में बताया तो उन्होंने यही कहा कि खाना वगैरह बनाते रहिएगा, लेकिन यह बताइए कि काम क्या करेंगे? शेफ के प्रोफेशन में करियर बनाया जा सकता है, यह कोई सोचता ही नहीं था। मुझे अपने घर वालों को इस बारे में समझाने में काफी वक्त लगा।
आपने घर पर सबसे पहले कौन सा व्यंजन बनाकर खिलाया?
सबसे पहले मैंने घर पर राजमा चावल बनाया था। एक दिन माता जी की तबीयत खराब थी। माता जी ने कहा कि हम तो बना नहीं सकते हैं, राजमा भिगो कर रखा हुआ है। घरवालों के लिए बना दो। वैसे भी हमारे घर में परंपरा रही है कि रविवार के दिन राजमा चावल बनता ही है। मैंने रविवार को राजमा चावल बनाया। पिता जी ने कहा कि गलती से आपने तो कमाल कर दिया। फिर वहां से थोड़ी हिम्मत और उम्मीद बढ़ी। उस समय मैं 13 साल का था। उससे पहले 11 साल की उम्र में पहली बार गुरुद्वारे में गुड़ वाले मीठे चावल बनाए थे। खाने बनने वाले जगह में जो एनर्जी होती है, उसने मुझे शुरू से ही प्रभावित किया।
किस शेफ से आप ज्यादा प्रभावित रहे हैं ?
कोई प्रोफेशनल शेफ से तो नहीं, लखनऊ में कबाब बनाने वाले मशहूर मुनीर उस्ताद से मैं काफी प्रभावित था। होटल मैनेजमेंट ज्वाइन करने से पहले उनके साथ लंबे समय तक काम किया। करीब आठ महीने मैंने उस्ताद से कबाब बनाने की पूरी प्रक्रिया सीखी। इसके अलावा लखनऊ की गलियों में बनने वाले तरह-तरह के पकवान से ज्यादा प्रेरणा मिली। उसके बाद आईएचएम लखनऊ में दाखिला लिया, वहां पर मैंने पाक कला की बारीकियां सीखी।
आज के समय में सोशल मीडिया की वजह से खानपान में कितना बदलाव आया है?
खाना समाज के व्यक्तित्व का आइना है। सोशल मीडिया के इस युग में हर घंटे में नए नए रुझान आते हैं। ऐसा नहीं है कि जो समानांतर खाना चल रहा है, उसमें बदलाव न हो। पिछले 15 साल में खान पान में बहुत तेजी से बदलाव आया है। हम सोशल मीडिया पर नए नए खाने देख रहे हैं और उसे बनाने की कोशिश कर रहे हैं। यूट्यूब और डिजिटल के माध्यम से आज हर किसी के पास तरह तरह व्यंजन बनाने की जानकारी है।