नई दिल्ली. कतर में जासूसी के मामले में मौत की सजा प्राप्त पूर्व भारतीय नौसेनिकों को गुरुवार को बड़ी राहत मिली. भारत के हस्तक्षेप के बाद कतर की अदालत में अपील दाखिल की गई. अब इन सैनिकों की सजा को कम करने का फैसला किया गया है. ये पूर्व नौसेनिक न सिर्फ मौत के चंगुल से बाहर आ गए हैं बल्कि भविष्य में उनके भारत आने का रास्ता भी साफ हो गया है. ऐसा दावा हम नहीं कर रहे बल्कि भारत और कतर से बीच Repatriation of Prisoners Act, 2003 के तहत ऐसा होना संभव है.
दरअसल, 2 दिसंबर 2014 में पीएम नरेंद्र मोदी की कैबिनेट ने भारत और कतर के बीच सजायाफ्ता व्यक्तियों के स्थानांतरण संधि को मंजूरी दी थी. जिसके बाद मार्च 2015 में दोनों देशों के बीच सिंधी पर हस्ताक्षर हुए थे. इस संघी के बाद से कतर में सजा पाए भारतीय कैद अपनी बची सजा भारत में पूरी कर सकते हैं और अगर कतर का कोई नागरिक भारत में सजा भुगत रहा है तो वो अपने देश में उस सजा की अवधी को पूरा कर सकता है.
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भारत में काटनी होगी बाकी की सजा?
2004 से पहले, ऐसा कोई घरेलू कानून नहीं था जिसके तहत विदेशी कैदियों को उनकी सजा की शेष अवधि काटने के लिए उनके मूल देश में स्थानांतरित किया जा सके, न ही किसी विदेशी अदालत द्वारा दोषी ठहराए गए भारतीय मूल के कैदियों को उनके मूल देश में स्थानांतरित करने का प्रावधान था.
भारत की किन देशों के साथ है ऐसी डील?
भारत सरकार ने अब तक ब्रिटेन, मॉरीशस, बुल्गारिया, ब्राजील, कंबोडिया, मिस्र, फ्रांस, बांग्लादेश, दक्षिण कोरिया, सऊदी अरब, ईरान, कुवैत, श्रीलंका, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, थाईलैंड की सरकारों के साथ इसी प्रकार के समझौतों पर हस्ताक्षर किए हैं जबकि कई देशों के साथ वार्ता जारी है.
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FIRST PUBLISHED : December 28, 2023, 17:48 IST