छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2023
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पुरुषों के वर्चस्व वाले क्षेत्रों में परचम लहरा रहीं महिलाओं की सियासत में भी भागीदारी बढ़ तो रही है, मगर धीरे-धीरे। छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव में इस बार कांग्रेस और भाजपा से कुल 33 महिलाएं मैदान में हैं। उपचुनावों को छोड़ दें तो वर्ष 2003 से 2018 तक हुए चार विधानसभा चुनावों में दोनों दलों ने कुल 86 महिलाओं को टिकट दिया। इनमें से 38 ने जीत दर्ज की थी।
इस बार के चुनाव में खास बात यह भी है कि पुरुषों के मुकाबले 119370 महिला मतदाता अधिक हैं। राज्य गठन के बाद से अब तक हुए विधानसभा उपचुनावों में भी चार महिलाओं ने सफलता हासिल की। इस तरह अब तक चुनी गईं महिला विधायकों की संख्या 42 हो जाती है। इनमें से 22 कांग्रेस के टिकट पर विधानसभा पहुंचीं। भाजपा से 17, बसपा से दो और जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) से एक विधायक चुनी गईं।
कांग्रेस ने इस बार भी महिलाओं पर भरोसा जताते हुए 18 को मैदान में उतारा है। जबकि, भाजपा ने 15 महिलाओं को ही टिकट दिया है। इसके अलावा जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) समेत अन्य क्षेत्रीय दलों ने भी महिला प्रत्याशियों को स्थानीय समीकरणों को ध्यान में रखते हुए मैदान में उतारा है। मप्र से अलग होकर बनने के बाद से छत्तीसगढ़ में हुए चार विधानसभा चुनावों में भाजपा-कांग्रेस समेत अन्य दलों और निर्दलीय महिला प्रत्याशियों का कुल आंकड़ा 371 है।
विधानसभा में महिलाएं
वर्ष प्रत्याशी विजेता
2003 62 05
2008 94 11
2013 83 10
2018 132 13
- एक नवंबर 2000 को राज्य स्थापना के समय 90 में से छह महिलाएं विधानसभा सदस्य थीं। इनमें से कांग्रेस की चार और भाजपा की दो विधायक थीं।
- चार चुनावों के बाद अब प्रदेश में 16 महिला विधायक हैं। इनमें से तीन उप चुनाव में निर्वाचित हुईं।
- पार्टीवार देखें तो कांग्रेस से सबसे ज्यादा 13 और भाजपा, जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) और बसपा से एक-एक विधायक हैं।
बागियों के बल से फूले क्षेत्रीय दल
क्षेत्रीय दलों की भूमिका राज्य में हमेशा वोटकटवा रही है। कांग्रेस ने 22 विधायकों के टिकट काटे तो भाजपा ने दो विधायकों समेत 50 सीटों पर चेहरे बदले हैं। क्षेत्रीय दल इससे उपजे असंतोष और बगावत का फायदा उठाने की पुरजोर कोशिश में हैं। सबसे ज्यादा बागी जेसीसीजे यानी जनता कांग्रेस छत्तीसगढ़ (जोगी) के पाले में हैं। रायपुर संभाग के महासमुंद और बस्तर के अंतागढ़ से कांग्रेस ने विधायकों के टिकट काटे तो उन्होंने जेसीसीजे का दामन थाम लिया। दर्जनभर बागी जेसीसीजे में शामिल हो चुके हैं।
गोंडवाना गणतंत्र पार्टी (गोंगपा), हमर राज पार्टी, सर्व आदिवासी समाज और जोहार छत्तीसगढ़ पार्टी जैसे दल ताल ठोक रहे हैं। सियासी गलियारों में चर्चाएं हैं कि कुछ दल भाजपा तो कुछ कांग्रेस को फायदा पहुंचाने के लिए मैदान में हैं। दूसरा यह कि पांच हजार तक वोट काटने वाले दल भाजपा के लिए मुफीद होंगे। यही दल यदि पांच हजार वोटों का आंकड़ा पार करते हैं तो कांग्रेस को लाभ मिल सकता है।
इन दलों में सबसे मजबूत तैयारी जेसीसीजे की नजर आ रही है, जिसकी स्थापना प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने की थी। पिछली बार जीसीसीजे ने पांच सीटें जीती थीं। अब जेसीसीजे की बागडोर अमित जोगी के हाथ है। वह 85 सीटों पर प्रत्याशी उतार चुके हैं। खुद पाटन विधानसभा सीट से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के खिलाफ उतरे हैं।